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इंटरनेट का क्रमिक विकास क्या है..? कृपया विस्तार से बताये....?

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इन्टरनेट क्या है... ? इनसे जुड़े सॉफ्टवेर , डिवाइस के बारे में जानकारी क्या है...?

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  • 1969 ई.: अमेरिकी रक्षा विभाग के एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (APRA) ने सं.रा.अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किंग करके इंटरनेट 'अप्रानेट' (APRANET) की शुरुआत की। इसका विकास, शोध, शिक्षा और सरकारी संस्थाओं के लिए किया गया था। इसका एक अन्य उद्देश्य था आपात स्थिति में जबकि संपर्क के सभी साधन निष्क्रिय हो चुके हों, आपस में सम्पर्क स्थापित किया जा सके। 1971 तक एपीआरए नेट लगभग 2 दर्जन कम्प्यूटरों को जोड़ चुका था।

  • 1972 ई.: इलेक्ट्रॉनिक मेल अथवा ई-मेल की शुरुआत।

  • 1973 ई.: ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल/ इंटरनेट प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी) को डिजाइन किया गया। 1983 तक आते-आते यह इंटरनेट पर दो कम्प्यूटरों के बीच संचार का माध्यम बन गया। इसमें से एक प्रोटोकॉल, एफ टी पी (फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल) की सहायता से इंटरनेट प्रयोगकर्ता किसी भी कम्प्यूटर से जुड़कर फाइलें डाउनलोड कर सकता है।

  • 1983 ई.: अप्रानेट के मिलेट्री हिस्से को मिलनेट (MILNET) में डाल दिया गया।

  • 1986 ई.: यू. एस. नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) ने एनएसएफनेट (NSFNET) लाँच किया। यह पहला बड़े पैमाने का नेटवर्क था, जिसमें इंटरनेट तकनीक का प्रयोग किया गया था।

  • 1988 ई.: फिनलैंड के जाक्र्को ओकेरीनेने ने इंटरनेट चैटिंग का विकास किया।

  • 1989 ई.: मैकगिल यूनीवर्सिटी, माँट्रियाल के पीटर ड्यूश ने प्रथम बार इंटरनेट का इंडेक्स (अनुक्रमणिका) बनाने का प्रयास किया। थिंकिंग मशीन कार्पोरेशन के ब्रिऊस्टर कहले ने एक अन्य इंडेक्सिंग सिक्सड, डब्ल्यू ए आई एस (वाइड एरिया इंफॉर्मेशन सर्वर) का विकास किया। सीईआरएन (यूरोपियन लेबोरेटरी फॉर पाटकल फिजिक्स) के बर्नर्स-ली ने इंटरनेट पर सूचना के वितरण की एक नई तकनीक का विकास किया, जिसे अंतत: वल्र्ड वाइड वेब कहा गया। यह वेब हाइपरटेक्स्ट पर आधारित है, जो कि किसी इंटरनेट प्रयोगकर्ता को इंटरनेट की विभिन्न साइट्स पर एक डाक्यूमेंट को दूसरे से जोड़ता है। यह कार्य हाइपरलिंक (विशेष रूप से प्रोग्राम किए गए शब्दों, बटन अथवा ग्राफिक्स) के माध्यम से होता है।

  • 1991 ई.: प्रथम यूज़र फ्रेंडली इंटरफेस, गोफर का मिन्नेसोटा यूनिवर्सिटी (सं.रा. अमेरिका) में विकास। तब से गोफर सर्वाधिक विख्यात इंटरफेस बना हुआ है; एनएसएफनेट को कॉमॢशयल ट्रैफिक के लिए खोला गया।

  • 1993 ई.: 'नेशनल सेंटर ऑफ सुपरकम्प्यूटिंग एप्लीकेशंसÓ के मार्क एंड्रीसन ने मोजेइक नामक नेवीगेटिंग सिस्टम का विकास किया। इस सॉफ्टवेयर के द्वारा इंटरनेट को मैगज़ीन फॉर्मेट में पेश किया जाने लगा। इस सॉफ्टवेयर से टेक्स्ट और ग्राफिक्स इंटरनेट पर उपलब्ध हो गए। आज भी यह वल्र्ड वाइड वेब के लिए मुख्य नेवीगेटिंग सिस्टम है।

  • 1994 ई.: नेटस्केप कम्युनिकेशन और 1995 में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने-अपने ब्राउज़र बाजार में उतारे। इन ब्राउज़रों से प्रयोगकर्ताओं के लिए इंटरनेट का प्रयोग अत्यन्त आसान हो गया।

  • 1995 ई.: प्रारंभिक व्यावसायिक साइट्स को इंटरनेट पर लाँच किया गया। ई-मेल के द्वारा मास मार्केटिंग कैम्पेन चलाए जाने लगे।

  • 1996 ई.: 1996 तक आते आते दुनिया भर में इंटरनेट को काफी लोकप्रियता हासिल हो गई। इंटरनेट प्रयोगकर्ताओं की संख्या 4.5 करोड़ पहुँची।

  • 1999 ई.: ई-कॉमर्स की अवधारणा अत्यन्त तेजी से फैली, जिससे इंटरनेट के द्वारा खरीद-फरोख्त लोकप्रिय हो गई।

  • 2003 ई.: न्यूजीलैण्ड में 'नियूइ' (NIUE) ने इंटरनेट में देशव्यापी 'वायरलेस एक्सेस' प्रणाली का प्रयोग आरंभ किया (इसमें ङ्खद्ब-स्नद्ब तकनीक का प्रयोग किया जाता है)।
  • answered 9 years ago
  • B Butts

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इन्टरनेट

इन्टरनेट शब्द को अगर दो भागो मे बाँट दिया जाये तो इंटरनेशनल + नेटवर्क दो शब्द बनते हैं, और दोनों शब्दों का मतलब निकाला जाये तो इसका अर्थ आता हैं अन्तर्राष्ट्रीय जाल अर्थात ऐसा जाल जिसमे सम्पूर्ण संसार शामिल हो. इंटरनेट दुनिया भर में सार्वजनिक रूप से सुलभ कंप्यूटर के सुपर नेटवर्क है. इंटरनेट नेटवर्क  मे हजारों की  संख्या मे पूरी दुनिया के कंप्यूटर जुड़े हुए हैं|

इंटरनेट नेटवर्कों का नेटवर्क है। 160 से अधिक देश इसके सदस्य हैं। 40 मिलियन से अधिक इसके उपयोक्ता हैं। यही कारण है कि इसे विश्व का नेटवर्क माना जाता है। यह विश्व भर के शैक्षणिक, औद्योगिक, सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं और व्यक्तियों को आपस में जोड़ता है। यह विश्व भर के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर काम करने वाली नेटवर्क प्रणालियों को एक मानक प्रोटोकोल के माध्यम से जोड़ने में सक्षम हैं। इसका कोई केंद्रीय प्राधिकरण नहीं है। मात्र विभिन्न नेटवर्कों के बीच परस्पर सहमति के आधार पर इसकी परिकल्पना की गई है। यह सहमति इस बात पर है कि सभी प्रयोक्ता संस्थाएँ इस पर संदेश के आदान-प्रदान के लिए एक ही पारेषण (Transmission) भाषा या प्रोटोकोल का प्रयोग करेंगी। सन 1969 में विंटर सर्फ़ ने इंटरनेट सोसायटी का गठन किया था और कुछ मेनफ्रेम कंप्यूटरों को परस्पर जोड़ दिया था। इंटरनेट सोसायटी मात्र स्वैच्छिक संस्थाओं का संगठन है, इंटरनेट के मानकों का निर्धारण करती है और उसके माध्यम से तकनीकी विकास पर नज़र रखती है।

इन्टरनेट सॉफ्टवेयर या वेब ब्राउजर

वेब एक विशाल पुस्तक की तरह हैं तथा वेब ब्राउजर एक सोफ्टवेयर हैं जो कंप्यूटर को इन्टरनेट से जोड़ता हैं. कुछ वेब ब्राउजर निम्नलिखित हैं-

१.       नेटस्केप नेविगेटर

२.       माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्सप्लोरर

३.       मोजिला फ़ायरफोक्स

४.       गूगल क्रोम

५.      ओपेरा आदि

इन सोफ्टवेयर का उपयोग कर हमलोग इन्टरनेट से जुड़ सकते हैं, तथा वेब से अपनी पसंद की जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं. वेब ब्राउजर का प्रयोग कर हम लोग किसी विशेष पेज या लोकेशन पर उसके पता (Address) को टाइप कर जा सकते हैं. URL (Universal resources locater) में प्रयुक्त हो रहे टूल्स और इन्टरनेट पता दोनों रहता हैं.

इन्टरनेट का उपयोग 

सामान्यतया  इन्टरनेट प्रयोक्ता केवल वर्ड-वाइड-वेब को ही इन्टरनेट का एकमात्र संसाधन समझता हैं. परन्तु सत्य यह हैं कि इन्टरनेट के दुवारा वेब उपयोग तथा ई-मेल के अतिरिक्त भी अन्य महत्वपूर्ण सेवाएं प्राप्त की जा सकती हैं. इन सेवाओं में से कुछ सेवाओं का संछिप्त विवरण यहाँ प्रस्तुत हैं-

फ़ाइल ट्रान्सफर प्रोटोकॉल - फ़ाइल ट्रान्सफर प्रोटोकॉल का उपयोग एक कंप्यूटर नेटवर्क से किसी दूसरे कंप्यूटर नेटवर्क में फ़ाइल को भेजने करने के लिए किया जाता हैं. इस प्रोटोकॉल के दुवारा सर्वर से किसी अन्य कंप्यूटर पर फाईल भी कॉपी की जा सकती हैं.

इलेक्ट्रोनिक मेल-इलेक्ट्रॉनिक मेल को संछिप्त  रूप से ई-मेल कहा जाता हैं. इस माध्यम के दुवारा आप बड़ी से बड़ी सूचनाओ तथा संदेशों को इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली दुवारा प्रकाश की गति से भेज या प्राप्त कर संकते हैं. ई-मेल दुवारा पत्र, ग्रीटिंग व कंप्यूटर के प्रोग्राम को दुनिया के किसी भी कोने से किसी भी हिस्से में भेज सकते हैं. इसके बारे में हम आगे और भी विस्तार से पढेंगे.

गोफर- गोफर का अविष्कार अमेरिका के मिनिसोटा नामक विश्वविद्यालय में हुआ था. यह एक यूजर फ्रेंडली इंटरफेस हैं, जिसके माध्यम से यूजर इन्टरनेट पर प्रोग्राम तथा सूचनाओं का अदान-प्रदान कर सकता हैं. गोफर यूजर की वांछित सूचनाओं तथा प्रोग्राम को खोज कर यूजर के सामने रख देता हैं. इसका प्रयोग अत्यंत सरल हैं.

वर्ल्ड-वाइड-वेब -इन्टरनेट  का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन वर्ल्ड-वाइड-वेब  को समझा जाता हैं. इसे संछिप्त में ३ डब्लू www के दुवारा प्रदर्शित किया जाता हैं. वर्ल्ड-वाइड-वेब  के दुवारा यूजर अपना या अपनी संस्था का वेब पेज बना कर नेट पर रख सकता हैं. जिसे फिर दुनिया के किसी भी कोने से देखा जा सकता हैं.

टेलनेट – डाटा के हस्तांतरण के लिए टेलनेट का उपयोग किया  जाता हैं. इस प्रोटोकॉल के इस्तेमाल से हम कहीं दूर अन्यत्र रखें कंप्यूटर पर अपना डाटा भेज या मंगवा सकते हैं. हम दूरस्थ कंप्यूटर को कण्ट्रोल भी  कर सकते हैं.

वेरोनिका – विरोनिका प्रोटोकॉल गोफर के माध्यम से काम करता हैं. इसके उपयोग से डाटाबेस तक पंहुचा जाता हैं.

न्टरनेट में प्रयुक्त एड्रेस के मूलभूत हिस्से को डोमेन कहा जाता हैं. इन्टरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर का एक डोमेन नेम होता हैं जिसे डोमेन नेम सिस्टम (DNS) कहा जाता हैं. डोमेन नेम को मुख्यतः ३ भागों में बाँटा गया हैं

  • जेनेरिक डोमेन
  • कन्ट्री डोमेन
  • इनवर्स डोमेन

उदाहरण के लिए www.google.com  इसमें डब्लू डब्लू  डब्लू यह बतलाता हैं की यह एक इन्टरनेट पेज हैं जिसका नाम google हैं और इसका डोमेन .com हैं.

प्रचलित डोमेन एवं उनसे जुड़े क्षेत्र

  • .edu – पढाई वाली संस्थानों से जुड़े साइट्स के लिए
  • .net – नेटवर्क संस्थानों से जुड़े साइट्स के लिए
  • .int- अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों से जुड़े साइट्स के लिए
  • .org- एसी संस्थानों से जुड़े साइट्स के लिए जो पैसे के लिए काम नहीं करते
  • .mil- सैन्य संस्थानों से जुड़े साइट्स के लिए
  • .jobs- नौकरी देने वाले संस्थानों से जुड़े साइट्स के लिए
  • .gov- सरकारी संस्थानों से जुड़े साइट्स के लिए
  • .com- व्यपारिक संस्थानों से जुड़े साइट्स के लिए
  • .name- एक व्यक्ति विशेष के लिए
  • .pro- एक प्रोफेशनल जैसे – डॉक्टर, प्रोफेसर वकील आदि के लिए
  • .in- भारतीय साइट्स के लिए
  • .uk- लन्दन के साइट्स के लिए एवम अन्य
  • answered 9 years ago
  • Sunny Solu

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