तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? What is Determinative Compoun
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समास किसे कहते हैं? इनके कितने भेद है ? Samas kise kahate hain.
जिस समास में बाद का पद या उत्तर पद प्रधान होता है, तथा प्रथम पद गौण हो जाता है। व के अतिरिक्त दोनों पदों के बीच की कारक विभक्ति का लॉक हो जाता है तो इसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे -
राजा का कुमार — राजकुमार
शोक से ग्रस्त — शोक ग्रस्त
रचना को करने वाला — रचनाकार
उपर्युक्त उदाहरण में कुमार, ग्रस्त, करने वाला आदि उत्तर प्रद हैं, और तत्पुरुष में उत्तर पद ही प्रधान होता है। तथा इन दोनों पदों के बीच की विभक्ति का,से,को आदि का लोप हो जाता है।
कारक किसे कहते है? कारक के कितने भेद होते हैं? What is the factor? How many different factors are there?
तत्पुरुष समास के व्यक्तियों के नामों के क्रमौ के अनुसार तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं।
कर्म तत्पुरुष (द्वितीया)
इसमें 2 पदों के बीच में लगने वाली कारक चिन्ह 'को' गायब हो जाता है। कर्म तत्पुरुष का उदाहरण निम्नलिखित इस प्रकार है।
उदाहरण -
गगन को चूमने वाला - गगनचुंबी
काठ को फोड़ने वाला - कठफोड़वा
कुंभ को बनाने वाला - कुंभकार (कुंभ को घड़ा कहते हैं)
रथ को चलाने वाला – रथ चालक
शिल्प को बनाने वाला – शिल्पकार
यश को प्राप्त करने वाला – यशप्राप्त
जेब को कतरने वाला - जेबकतरा
काल (Tense) किसे कहते हैं ? What is Tense
करण तत्पुरुष (तृतीया)
इसमें करण कारक की विभक्ति 'से' के द्वारा का लोप हो जाता है। निम्नलिखित कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं
उदाहरण -
उत्तर से पूर्व – उत्तरपूर्व
व्याधि से ग्रसित – व्याधिग्रसित
नेत्र से हीन – नेत्रहीन
कर्म से हीन – कर्महीन
रेखा से अंकित – रेखांकित
मन से चाहा – मनचाहा
वाल्मीकि द्वारा रचित – बाल्मीकि रचित
पद से दलित – पददलित
संप्रदान तत्पुरुष (चतुर्थी)
इसमें संप्रदान कारक विभक्ति 'के लिए' का लोप हो जाता है निम्नलिखित कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं
उदाहरण-
स्वर्ग के लिए पर – स्वर्गपथ
स्नान के लिए घर – स्नानघर
पाठ के लिए शाला – पाठशाला
हाथ के लिए कड़ी – हथकड़ी
देश के लिए भक्ति – देशभक्ति
परीक्षा के लिए भवन – परीक्षाभवन
प्रयोग के लिए शाला – प्रयोगशाला
गौ के लिए शाला – गौशाला
अपादान तत्पुरुष (पंचमी)
इसमें अपादान कारक की विभक्ति ‘से' (अलग होने का भाव किस चीज से) लुप्त हो जाता है। यहां पर हमें एक बात समझनी होगी। करण तत्पुरुष में 'से' का अर्थ अलग होता है जबकि अपादान तत्पुरुष में 'से' का अलग अर्थ होता है। करण तत्पुरुष में 'से' का अर्थ - मिलना अपादान तत्पुरुष में 'से' का अर्थ - अलग होना।
उदाहरण-
धन से हीन – धनहीन
जल से हीन – जलहीन
देश से निकाला – देशनिकाला
गुण से हीन – गुणहीन
मार्ग से हीन – मार्गहीन
संबंध तत्पुरुष (षष्ठी)-
इसमें संबंध कारक की विभक्ति ‘का' ‘के', 'की' का लॉक हो जाता है' यह विभक्ति संबंध को दर्शाता है' संबंध तत्पुरुष के कुछ उदाहरण निम्नलिखित इस प्रकार हैं:
उदाहरण-
विद्या का सागर – विद्यासागर
राजा का पुत्र – राजपूत्र
राजा का कुमार – राजकुमार
ग्रंथों का आलय – ग्रंथालय
देश की रक्षा – देशरक्षा
पशुओं की रक्षा – पशुरक्षा
पर के आधीन – पराधीन
जगत की जननी – जगतजननी
संज्ञा किसे कहते है? और इनके कितने भेद है ? What is a noun?
अधिकरण तत्पुरुष (सप्तमी)
इसमें अधिकरण कारक की विभक्ति ‘में',‘पर' का लोप हो जाता है, अधिकरण तत्पुरुष के उदाहरण निम्नलिखित इस प्रकार हैं:
उदाहरण-
शरण में आगत – शरणागत
आप पर बीती – आपबीती
कला में श्रेष्ठ – कलाश्रेष्ठ
गृह में प्रवेश – गृहप्रवेश
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