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अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए । Describe the market control policy of Alauddin Khilji.

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अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए । Describe the market control policy of Alauddin Khilji.

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साम्राज्य विस्तार हेतु अलाउद्दीन को विशाल सेना की आवश्यकता थी। कम वेतन पर विशाल सेना रखी जा सके इस हेतु उसने बाजार नियंत्रण नीति को लागू किया, जिससे सैनिक कम वेतन में जीवन निर्वाह कर सकें। अपनी नीति को सफल बनाने हेतु उसने निम्नलिखित कार्य किए

मूल्य नियंत्रण :- अलाउद्दीन के आर्थिक सुधारों में बाजार मूल्य नियंत्रण का अपना अलग महत्व है। बाजार की हर चीज का भाव सुनिश्चित कर दिया गया। दुकानदार निश्चित कीमत पर चीजें बेचते थे। सुई तथा कंघी तक के भाव निश्चित थे।

बाजारों का सतत् निरीक्षण :- मूल्य नियंत्रण के लिए ‘दीवान ए रियासत' नामक एक स्वतंत्र विभाग की स्थापना की गई। बाजार पर दो अधिकारियों का नियंत्रण रहता था। ‘दीवान-ए-रियासत’ और ‘शाहाना-एमण्डी' । ये अधिकारी सही तौल पर निगरानी रखते थे और यह देखते थे कि निश्चित कीमत पर चीजें बिक रही। हैं या नहीं।

वस्तुओं का मूल्य निर्धारण :- सुल्तान ने बाजार व्यवस्था को सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक वस्तुओं के मूल्य निर्धारित कर दिए थे। जैसे-गेहूँ 7 जीतल प्रति मन, जौ चार जीतल प्रति मन, धान पाँच जीतल प्रति मन, मांस 5 जीतल प्रति मन, घोड़ा, 65 से 120 टंक, गाय 3 से 4 टंक। निर्धारित मूल्य से अधिक पर कोई वस्तु नहीं बेची जा सकती थी।

वस्तुओं की पूर्ति व वितरण व्यवस्था :- वस्तुओं के लिए बाजार निश्चित थे। गल्ला मण्डी में मिलता था। कपड़ा बाजार को सराय-ए-अदल कहते थे। घोड़े, गुलाम अन्य पशुओं के लिए बाजार अलग था। उपभोक्ताओं को राशन कार्ड दिया जाता था। राजधानी के दो अलग-अलग मुहल्लों में सरकारी दुकानें थीं। उपभोक्ता की संख्या देखकर दुकानों को चीजें दी जाती थीं।

कठोर दण्ड व्यवस्था :– बाजार नियंत्रण के लिए कठोर दण्ड की व्यवस्था थी। शहाना-ए-मण्डी को आदेश था कि कम तौलने वालों के शरीर से उतना मांस काट लिया जाए जितना वे कम तौलते हैं। परिणामस्वरूप बाजार में खोटे बाँटों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया था। बेइमान दुकानदारों को मार-मारकर बाजार से बाहर कर दिया जाता था। कठोर दण्ड व्यवस्था के परिणामस्वरूप जनता के दैनिक जीवन की आवश्यक वस्तुएँ वास्तविक मूल्य में सर्वत्र उपलब्ध थीं।

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