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विज्ञान की उस शाखा को जिसमें आनुवंशिक लक्षणों के माता – पिता से सन्तान में आने की रीतियों का अध्ययन करते हैं, आनुवंशिकी कहते हैं। इसकी खोज ग्रेगर जॉहन मेण्डल ने सन् 1866 में की।
आनुवंशिकता के कारण ही पीढ़ी – दर – पीढ़ी जीवों में समानता बनी रहती है। इसी कारण मनुष्य की सन्तान मनुष्य, बन्दर की सन्तान बन्दरे, गाय की सन्तान गाय तथा हाथी की सन्तान सदैव हाथी ही रहती है।
कुछ ऐसे लक्षण सभी जीवों में होते हैं, जो उन्हें अपने जनकों से प्राप्त होते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहते हैं। इन लक्षणों को आनुवंशिक लक्षण कहते हैं। इन लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी या एक जीव से दूसरे जीव में जाना आनुवंशिकता कहलाता है।
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