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भारत में प्रजातंत्र की सफलता में क्या क्या बाधक है? समझाइए।What is the obstacle in the success of democracy in India? explain.

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भारत में प्रजातंत्र की सफलता में क्या क्या बाधक है? समझाइए।What is the obstacle in the success of democracy in India? explain.

 

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भारतीय प्रजातन्त्र को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं :-

  • गरीबी और बेरोजगारों की बढ़ती संख्या :- देश की जनसंख्या का लगभग 26 प्रतिशत भाग निर्धनता रेखा के नीचे जीवन निर्वाह कर रहा है। देश में शिक्षित और अशिक्षित करोड़ों नागरिकों के लिए नियमित रोजगार का कोई साधन नहीं है। नागरिकों के उसी बड़े वर्ग के कारण लोकतन्त्र के संचालन में कठिनाई आती है। निर्धनता और बेरोजगारी से प्रभावित नागरिक रूढ़िवादी अधिक रहता है और आधुनिक विचार और पद्धति के प्रति उसमें रुझान नहीं होता। निर्धन एवं बेरोजगार व्यक्ति राष्ट्र के विकास एवं प्रगति में योगदान के बजाय अपने पेट भरने एवं अपने परिवार के लालन-पालन की जुगत में ज्यादा लगा रहता है।
  • जातीयता, क्षेत्रीयता और भाषायी समस्याएँ :- हमारे देश में बिना किसी भेद-भाव के सभी नागरिकों को स्वतन्त्रता और समानता के अधिकार प्रदान किये गये हैं किन्तु यथार्थ में देश में प्रचलित जातिवाद और क्षेत्रवाद स्वतन्त्रता और समानता के अधिकार को वास्तविक नहीं बनने दे रहे हैं। भारतीय प्रजातन्त्र में विश्वास करने वाले यह मानते थे कि भारत में धीरे-धीरे जातिवाद स्वतः समाप्त हो जायेगा, लेकिन व्यक्ति जब जाति को प्राथमिकता देकर राजनीतिक कार्य और व्यवहार निर्धारित करता है तब लोकतन्त्र के संचालन में अवरोध आना स्वाभाविक है।
  • निरक्षरता :- किसी भी देश में लोकतन्त्र की सफलता के लिए वहाँ के नागरिकों का साक्षर होना आवश्यक है। अशिक्षित लोग न तो अपने अधिकारों व कर्तव्यों को जानते हैं और न ही अपने मत का ठीक प्रयोग कर पाते हैं। इसलिए निरक्षरता प्रजातन्त्र के लिए अभिशाप है।
  • सामाजिक कुरीतियाँ :- भारतीय समाज परम्परागत समाज है। यहाँ प्रजातन्त्र की भावना के अन्नकल लोकमत की कम अभिव्यक्ति होती है। अभी भी हमारे समाज में अस्पृश्यता की भावना महिला भेद-भाव, जातीय श्रेष्ठता के भाव, सामन्तवादी मानसिकता, सामाजिक कुरीतियाँ व अन्धविश्वास वाटते भावना व्याप्त हैं। इस प्रकार के विचार लोकतन्त्र के मार्ग में बाधा हैं।
  • संचार साधनों की नकारात्मक भूमिका :- संचार साधनों के माध्यम से सरकार के मध्य एक घनिष्ठ नाता बनता है। प्रजातन्त्र में सरकार द्वारा जनकल्याण की अनेक योजना संचालित किए जाते हैं। जनसंचार के साधनों द्वारा इनका प्रसार केवल व्यावसायिक है। शासन और प्रशासन की सकारात्मक भूमिका के प्रति इनमें आकर्षण कम है जबकि जनमत को दिशा देने में यह साधन प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। भारत में इनकी भनि नहीं है जितनी होनी चाहिए।
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