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भारत की परमाणु नीति का इतिहास क्या है समझाइए। Explain the history of India's nuclear policy.

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भारत की परमाणु नीति का इतिहास क्या है समझाइए। Explain the history of India's nuclear policy.

 

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भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू परमाणु शक्ति का प्रयोग अन्तर्राष्ट्रीयता के उत्तरदायित्वों एवं विश्व के उच्च आदर्शों के अनुरूप करना चाहते थे। उन्होंने परमाणु बम न बनाने का संकल्प अनेक अवसरों पर दोहराया।नेहरू जी की मृत्यु के बाद लालबहादुर शास्त्री का मानना था कि सरकार की नीतियाँ परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तनशील होती हैं। उन्होंने उस समय बम बनाने की बात तो नहीं कही परन्तु आने वाले समय में इसी स्थिति के लागू रहने का समर्थन भी नहीं किया।

फिर जब इन्दिरा गाँधी प्रधानमंत्री पद की कमान संभाली उस समय उन्होंने देश की रक्षा को अति महत्वपूर्ण विषय मानते हुए  परमाणु नीति पर पुनर्विचार की बात कही । उन्होंने परमाणु 'विकल्प खुला रखने की बात भी कही । 1974 में इन्दिरा गाँधी ने पोखरण (राजस्थान) में 'शान्तिपूर्ण परमाणु परीक्षण' किया । यह परीक्षण हथियारों की प्राप्ति के उद्देश्य से नहीं किया गया था। 1977 से 1980 तक भारत परमाणु हथियार न बनाने की बात पर दृढ़ बना रहा । अपने दूसरे प्रधानमंत्रीत्व काल में इन्दिरा गाँधी ने इन्तजार करने की नीति अपनाई। 1980 के दशक से प्रक्षेपास्त्रों के विकास के कारण भारत की परमाणु नीति में प्रमुख परिवर्तन आया । इस संदर्भ में 1983 में . प्रारम्भ की गई ‘एकीकृत निर्देशित प्रक्षेपास्त्र योजना' अति महत्वपूर्ण है।


11 मई, 1998 को भारत ने तीन भूमिगत परमाणु (नाभिकीय) परीक्षण लगातार एक के बाद एक पोखरण में ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के मार्ग दर्शन में किये । परमाणु परीक्षण सम्पन्न हो जाने के पश्चात् प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने घोषित किया कि 'हम एक बड़े बम की क्षमता वाले' राष्ट्र बन गये हैं । उन्होंने कहा कि भारत अब परमाणु अस्त्र सम्पन्न देश बन गया है।

भारत ने आणविक परीक्षण इसलिए किए क्योंकि भारत की सीमाओं के निकट. परमाणु अस्त्र क्षमता एवं प्रक्षेपास्त्रों की मौजूदगी थी । अतः भारत को अपनी सुरक्षा मजबूत बनाने के लिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में राजनीतिक एवं कूटनीतिक रूप से दबाव बढ़ाना आवश्यक था ।

भारत की परमाणु नीति को उसकी विदेश नीति के मूल सिद्धान्तों के सन्दर्भ में समझा जा सकता है। भारत की विदेश नीति के तीन मूलभूत सिद्धान्त हैं- राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और विश्व व्यवस्था । भारत की परमाणु नीति का लक्ष्य अपनी सुरक्षा एवं विकास को सुनिश्चित करना है और यह भी ध्यान रखना है कि एक ऐसे विश्व की स्थापना हो जो, सहयोग सद्भाव और शान्ति पर आधारित हो।

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