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वायुमंडल की संरचना

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पृथ्वी के चारों ओर व्याप्त गैसीय आवरण को वायुमण्डल कहा जाता है, जो पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण पृथ्वी के साथ संलग्न है | यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषण और ग्रीनहाउस प्रभाव द्वारा दिन व रात के धरातलीय तापमान को संतुलित रखकर पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करता है|

वायुमंडल को अनेक सामानांतर परतों में विभाजित किआ गया है —

क्षोभ मंडल

यह वायुमंडल की सबसे निचली सक्रिय तथा सघन परत है। इसमें वायुमंडल के कुल आणविक भार का 75 % केंद्रित है। इस परत में आद्रता जलकण धूलकण वायु धुन्ध तथा सभी प्रकार की वायुमंडलीय विक्षोभ व गतियां संपन्न होती है। धरातल से इस परत की ऊंचाई १४ KM है। यह परत ध्रुवों से भूमध्य रेखा की और जाती हुई पतली होती जाती है। भूमध्य रेखा पर इसकी ऊंचाई 18 km तथा ध्रुवों पर 8–10 km है। ऊंचाई बढ़ने के साथ इसके तापमान में कमी आती है। तापक्षय दर 6.5°C / km है। तापक्षय की दर ऋतु परिवर्तन वायुदाब तथा स्थानीय धरातल की प्रकृति से भी प्रभावित होती है। समस्त मौसमी परिवर्तन इसी परत में होता है। यह परत सभी प्रकार के मेघों और तुफानो की बहरी सीमा बनाती है। वायु यहाँ पूर्णतः अशांत रहती है। इसमें निरंतर विक्षोभ बनते रहते है और संवाहन धाराएं चलती रहती है। यह भाग विकिरण , सञ्चालन ,संवाहन द्वारा गरम और ठंडा होता रहता है। संवाहन धाराएं अधिक चलने से इसे संवहनीय प्रदेश आ उदवेलित संवाहन स्तर (turbulent convective strata ) भी कहते है। क्षोभसीमा क्षोभमंडल व समतापमंडल को अलग करने वाली परत ओ क्षोभसीमा कहते है। यहाँ तापमान स्थिर रहती है व जेट पवनें चलती है।

समताप मंडल

क्षोभमंडल के ऊपर 50km तक इसका विस्तार हैं। इसके निचले 20km तक तापमान स्थिर रहता हैं और उसके बाद तापमान में वृद्धि होती हैं। तापमान में वृद्धि का कारण हैं ओजोन परत के द्वारा पराबैंगनी किरणों का अवशोषण | यह मंडल मौसमी घटनाओं से मुक्त हैं। वायुयान चालको के लिए यह एक उत्तम मंडल हैं।

मध्य मंडल

50 से 80km तक की ऊंचाई वाला वायुमंडल को मध्य मंडल कहते हैं। यहाँ ऊंचाई के साथ तापमान में कमी आती हैं। 80km की ऊंचाई पर तापमान -100°C हो जाता हैं। इस न्यूनतम तापमान को मेसोपस कहते हैं।

आयन मंडल

इसकी ऊंचाई 80 – 640 कम पाई जाती हैं। ऊंचाई के साथ तापमान में वृद्धि होती हैं। इस परत में आयनीकृत कणों की प्रधानता होने से इसे आयन मंडल भी कहते हैं। यहाँ विधुतीय एवम चुम्बकीय घटनाए घटित होती हैं। पारा बैंगनी विकिरण तथा वाह्य अंतरिक्ष से आने वाले परा बैंगनी गतिवान कण जब वायुमंडल के आण्विक ऑक्सीजन से टकराते हैं तो वायुमंडलीय ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन का आयनन हो जाता हैं। जिसके परिणामस्वरूम विधुत आवेश उत्पन्न होता हैं। 100 से 300km के मध्य जहाँ स्वतंत्र आयनो की संख्या अधित होती हैं ,विस्मयकारी विधुत तथा चुम्बकीय घटनाएँ अधिक होती हैं।

बाह्य मंडल

यह वायुमंडल की सबसे बाहरी परत हैं। इसकी ऊंचाई 640 –1000km तक होती हैं। यहाँ हाइड्रोजन तथा हीलियम गैसों की प्रधानता होती हैं।

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