पृथ्वी के बारे में बताये, इसका घूर्णन काल, द्रव्यमान और इसके वायुमंडल के बारे में जानकारी दे | पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहते है॑ ऐसा क्यू ?
पृथ्वी एक संस्कृत शब्द हैं जिसका अर्थ "एक विशाल धरा" हैं। एक अलग पौराणिक कथा के अनुसार, महाराज पृथु के नाम पर इसका नाम पृथ्वी रखा गया।
इसके अन्य नामो में- धरणी, धरती, धरा, भूमि, धरित्री, रसा, रत्नगर्भा, अचला, अदिति, अनंता, अवनी, आद्या, इड़ा, इरा, इला, उर्वरा, उर्वी, कु, क्ष्मा, क्षामा, क्षिति क्षोणी, गो, गोत्रा, जगती, ज्या, धात्री, निश्चला, पारा, भू , भूमि, महि, मही, मेदिनी, रत्नावती, वसुंधरा, वसुधा, वसुमती, विपुला, श्यामा, सहा, स्थिरा, सागरमेखला इत्यादि सम्मलित हैं।
अन्य भाषाओ जैसे- अंग्रेजी में अर्थ (Earth) और लातिन भाषा में टेरा (Terra) कहा जाता हैं। हालकि सभी नामो में इसका अर्थ लगभग सामान ही रहा हैं।
पृथ्वी, बुध और शुक्र के बाद सुर्य से तीसरा ग्रह है। धरती एकलौता ग्रह है जहाँ पर ज़िन्दगी है। सुर्य से पृथ्वी की औसत दूरी को खगोलीय इकाई कहते हैं। ये लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। ये दूरी वासयोग्य क्षेत्र में है। किसी भी सितारे के गिर्द ये एक ख़ास ज़ोन होता है, जिस में ज़मीन की सतह के उपर का पानी तरल अवस्था में रहता है। पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहते है॑।
पृथ्वी की त्रिज्या : 6,371 km
पृथ्वी की सूर्य से दुरी : 149.6 million km
पृथ्वी की सतह क्षेत्र : 510.1 million km²
पृथ्वी की भूमि क्षेत्रफल: 148.9 million km²
पृथ्वी की घनत्व: 5.51 g/cm³
धरती के सारे महाद्वीप आज से 6.5 करोड़ साल पहले एक दूसरे से जुडे हुए थे। वैज्ञानिको का मानना है कि धरती पर कोई उल्का पिंड गिरने जा फिर निरंतर ज्वालामुखीयों और ताकतवर भुकंपों के कारण यह महाद्वीप आपस से अलग होने लगे|धरती के सारे महाद्वीप पिछले 2.5 करोड़ साल से गति कर रहे है. यह गति टैकटोनिक प्लेटों की निरंतर गति के कारण है। हर महाद्वीप दूसरे महाद्वीप से भिन्न चाल से गति कर रहा है। जैसे के प्रशांत प्लेट 4 सैटीमीटर प्रति वर्ष जबकि उत्तरी अटलाटिंक 1 सैटीमीटर प्रति वर्ष गति करती है.
धरती पर ताप का स्त्रोत केवल सुर्य नही है। बल्कि धरती का अंदरूनी भाग पिघले हुए पदार्थों से बना है जो लगातार धरती के अंदरूनी ताप स्थिर रखता है। एक अनुमान के अनुसार इस अंदरूनी भाग का तापमान 5000 से 7000 डिगरी सैलसीयस है जो कि सुर्य की सतह के तापमान के बराबर है। लगभग हर साल 30,000 बाहरी अंतरिक्ष के पिंड धरती के वायुमंडल मे दाखिल होते है। पर इनमें से ज्यादातर धरती के वायुमंडल के अंदर पहुँचने पर घर्षण के कारण जलने लगते है जिन्हें हम अकसर टूटता तारा कहते है।
धरती पूरी तरह से गोल नही है. ब्लिक इसके भू-मध्य रोखीए और ध्रुवीय व्यासों में 41 किलोमीटर का फर्क है। धरती ध्रुवों से थोड़ी सी चपटी(प्लेन) है जबकि भू-मध्य रेखा से थोड़ी सी बाहर की तरफ उभरी हुई है। चाँद समेत कई और ग्रह और उपग्रह है जिन पर पानी मौजूद है. पर धरती ही एकलौता ऐसा पिंड है जहां पानी तीनों अवस्थायों में पाया जाता है। मतलब कि ठोस,द्रव और गैस तीनो में। धरती अपने धुरे पर 1600 किलोमीटर प्रति घंटा की रफतार से घूम रही है जबकि सुर्य के ईर्ध-गिर्द यह 29 किलोमीटर प्रति सैकेंड की रफतार से चक्कर लगा रही है। पूरी धरती के हर स्थान पर गुरूत्वाकर्षण एक जैसा नही है ब्लिक धरती के हर स्थान पर यह अलग-अलग है। इसका कारण है सभी स्थानों की धरती के केंद्र से दूरू भिन्न-भिन्न है। इसी कारण भू-मध्य रेखा पर आपका वजन ध्रवों से थोड़ा ज्याादा होगा।
धरती के अपने अक्ष के सापेक्ष घुमने के कारण ही यह एक चुंबक की तरह विवहार करता है। धरती का उत्तरी ध्रुव इसके चुंबकीय क्षेत्र का दक्षिणी पासा है जबकि दक्षिणी ध्रुव इसके चुंबकीय क्षेत्र का उत्तरी पासा।
पृथ्वी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते
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धरती आकाश गंगा का एकलौता ऐसा ग्रह है जिसमें कि टैकटोनिक प्लेटों की व्यवस्था है।
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धरती की सतह का सिर्फ 11 प्रतीशत हिस्सा ही भोजन उत्पादित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
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मनुष्य के द्वारा सबसे ज्यादा गहराई तक खोदा जाने वाला गड्ढा 1989 में रूस में खोदा गया था जिसकी गहराई 12.262 किलोमीटर थी।
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धरती पर हर साल लगभग 1000 टन अंतरिक्ष धुड़-कण धरती में दाखिल होते है।
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धरती पे मौजुद हर प्राणी में कार्बन जरूर है।
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धरती पर हर रोज 45,00 बादल गरजते है।
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पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा सा है|
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चंद्रमा की परत के अंदर की स्थिति का अध्ययन करने वाला विज्ञान सेनेनोलॉजी कहलाता है|
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चंद्रमा के उपर स्थिति धूल के मैदान को शांति सागर कहते हैं |
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चंद्रमा का दूसरा नाम जीवाश्म ग्रह है|
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चांद सूर्य की रोशनी के कारण चमकता है|
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पृथ्वी अपने 23.50अक्ष पर हुई झुकी है|
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सूर्य जब भूमध्य रेखा के ऊपर होता है उस समय उत्तरी समशीतोष्ण क्षेत्र में वसंत ऋतु होती है|
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सूर्य जब कर्क रेखा के बिलकुल ऊपर होता है उस समय उत्तरी समशीतोष्ण क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु होती ह|
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सूर्य जब दोबारा भूमध्य रेखा के ऊपर आता है उस समय उत्तरी समशीतोष्ण क्षेत्र में शरद ऋतु होती है|
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सूर्य जब मकर रेखा पर होता है तो उस समय उत्तरी समशीतोष्ण क्षेत्र में शीत ऋतु होती है|
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पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में 365 दिन 6 घंटे समय लगता है|
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सूर्य की परिक्रमा करने में पृथ्वी के लगे टाइम को सौर वर्ष कहते हैं|
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हर एक कैलेंडर वर्ष या 16 वर्ष में 6 घंटे टाइम बढ़ जाता ह|
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बनावट और आकार की तरफ से देखें तो पृथ्वी शुक्र ग्रह से ग्रह के बराबर है|
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नीला ग्रह पृथ्वी को पानी की उपस्थिति के कारण कहा जाता है|
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सूर्य के बाद पृथ्वी का सबसे नजदीक तारा प्रॉक्सिमा सेंचुरी है |
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सौरमंडल का एकमात्र ग्रह पृथ्वी है जिस पर जीवन संभव है|
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बड़े ग्रहों में पृथ्वी का सौर मंडल में पांचवा स्थान है|
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पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास 12714 किलोमीटर है|
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पृथ्वी अपने अक्ष के उपर पश्चिम से लेकर पूर्व की दिशा में धूमती रहती है|
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पृथ्वी में अपनी धुरी का चक्कर 1610 किलोमीटर प्रति घंटे की चाल से 23 घंटे 56 मिनट 4 सेकेंड समय में पूरा करती है|
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दिन और रात पृथ्वी के घुमने के कारन बनते है|
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चंद्रमा पर टाइटेनियम धातु की मात्रा सबसे अधिक है|
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पृथ्वी के उपर से चाँद का सिर्फ 57 % भाग ही दिखाई देता है|
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चंद्रमा धरती के चारो और घुमने में 27 दिन 8 घंटे समय लेता है|
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चंद्रमा के ऊपर सबसे ऊंचा पहाड़ लीबनिट्ज पर्वत है|
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चंद्रमा पर सबसे पहले पहुंचने वाले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग एवं सर एडविन एल्डिन थे|
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चंद्रमा पर पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों 21 जुलाई 1969 ई. में पहुंचे थे|
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चंद्रमा पर पहली बार पहुंचने वाले यान का नाम अपोलो-11 था|
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पृथ्वी जिस कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करती है उसे दीर्घवृत्तीय कहा जाता है|
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सूर्य और पृथ्वी के बीच जनवरी में दूरी कम हो जाती है उसे उपसौरिक कहते हैं|
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पृथ्वी जुलाई में सूर्य से कुछ दूर चली जाती है उसे अपसौरिक कहते हैं|
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किसी भी जगह का समय देशांतर रेखाओं के आधार पर किया जाता है|
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दो देशांतर रेखाओं के बीच की जगह को गोरे कहा जाता है|
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जब कभी दिन के समय सूर्य तथा पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है उसे सूर्यग्रहण कहते हैं|
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सूर्यग्रहण को रात को अमावस्या की रात कहा जाता है|
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जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रग्रहण होता है|
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चंद्रग्रहण पूर्णिमा की रात को होता है |
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180 डिग्री देशांतर को अंतर्राष्ट्रीयतिथि रेखा कहते हैं|
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धरती के गुरूत्वाकर्षण के कारण पर्वतों का 15,000 मीटर से ऊँचा होना संभव नही है।
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अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा चुकी सागर, आर्कटिक सागर, बेरिंग स्ट्रेट और प्रशांत महासागर के बिच से गुजरती है|
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कर्क रेखा भारत, चीन और म्यांमार के अन्दर से जाती है|
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ग्रीनविच माध्यम समय जीरो डिग्री देशांतर पर आधारित होता है |
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भारत का मानक समय ग्रीनविच मीनटाइम से साढ़े पांच घंटे आगे है |
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पृथ्वी के ध्रुवों पर रात-दिन 6-6 महीने का दिन का होता है |
Physics
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Rochak Jankari
- asked 4 years ago
- B Butts