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बादलों की हड़ताल और किसान की महनत

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एक बार बादलों की हड़ताल हो गई, बादलों ने कहा अगले दस साल पानीं नहीं बरसायेंगे।

ये बात जब किसानों ने सुनी तो उन्होंने अपने हल वगैरह पैक कर के रख दिये,
लेकिन एक किसान अपने नियमानुसार हल चला रहा था। कुछ बादल थोड़ा नीचे से गुजरे
और किसान से बोले क्यों भाई पानी तो हम बरसाएंगे नहीं फिर क्यों हल चला रहे हो ?
किसान बोला कोई बात नहीं जब बरसेगा तब बरसेगा, लेकिन मैं हल इसलिए चला रहा हूँ
कि मैं दस साल में कहीं हल चलाना भूल न जाऊँ । अब बादल भी घबरा गए कि कहीं हम
भी बरसना भूल न जाएँ, तो वे तुरंत बरसने लगे और उस किसान की मेहनत जीत गई।
जिन्होंने सब पैक करके रख दिया था वो हाथ मलते ही रह गए।


(शिक्षा : कामयाबी उन्हीं को मिलती है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी मेहनत करना
नहीं छोड़ते हैं।)

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