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पंच - Panch

पंच
| गोनू झा की कहानी |
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गोनू झा बगल के गाँव में हाट करने जा रहे थे। जाते समय पत्नी से कहा, आज कोई खास काम नहीं है; हाट-बाजार करके सीधे घर ही आ जाऊँगा।

झोला लेकर विदा हुए। वहाँ गोनू झा को देखकर कुछ लोग खुसुरफुसुर करने लगे। पूछने पर पता चला कि वे सभी इलाके के बीहड़ चोर हैं।

इसी बातों में उन्हें लौटने में देर हो गई। पत्नी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही थीं।

गोनू झा के आते ही पत्नी ने शिकायत के लहजे में कहा, 'आपने कहा था कि शीघ्र लौट आऊँगा; देर कहाँ हो गई?

वह कुछ कहते, तब तक में कोठी-ंमाँठ के पीछे कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी। नजर दौड़ाई तो अँधेरे में मुंड भी उब-डुब करते दिख गए। इसी बीच पत्नी ने कहा, 'हाट के ही कारण अभी तक खाना बनाना भी शुरू नहीं किया है।

गोनू झा ने गरजते हुए कहा, 'तुम मेरी मालिक हो कि सब हिसाब देता रहूँ?

पत्नी ने कहा, लेकिन आप हाट करने गए थे, चावल, दाल, साग-सब्जी और मछली भी लानेवाले थे?

गोनू झा और चिल्लाने लगे, तुम्हारी जीभ आजकल बहुत चटोर हो गई है; मछली की दुर्गंध भी लगती और सब दिन खाते की इच्छा भी होती है।'

पत्नी को गुस्सा आ गया। उन्होंने भी झुँझलाते हुए कहा, 'मैं कब कहती हूँ मछली लाने के लिए? खाइए कसम कि मैं मछली लाने के लिए कहती हूँ या आप खाने के लिए छटपटाते रहते हैं; मैंतो मछली से तंग आ चुकी जब मन हो, लाकर पटक देते हैं। घर में तेल नहीं रहता, इसकी तो चिंता रहती नहीं और 'मछगिद्ध' बने रहते हैं।

यह सुनते ही गोनू झा और भरक उठे, 'मुझे छोटी-छोटी बातों के लिए कसम खिलाती हो? यही है घरवाली का धरम?

पत्नी कुछ बोलतीं, पति और चिल्लाने लगते। पंडिताइन ने झुँझलाते हुए कहा, 'यह क्यों नहीं कहते कि ताड़ी पी ली है? फिर आप बकते रहिए और मैं ध्यान ही न दूँगी।

ताड़ी का नाम सुनते ही गोनू झा और बिगड़ उठे, दुनिया में और कुछ खाने-पीने के लिए नहीं है कि मैं चला नशापान करने? तुम मुझ पर सरासर तोहमत लगा रही हो। अब इसका फैसला पंच ही करेगा।

ओझाइन चिल्ला-चिल्लाकर बोलने लगी, 'हाय रे दैव! इन्हें क्या हो गया है! हाट में किसी ने जादू-टोना कर दिया है!'

पत्नी का रोना चिल्लाना सुनकर पड़ोसी जुटने लगे और बीच-बचाव करना चाहा। गोनू झा ने कहा, सारी गलतियाँ इनकी है; यही बेवजह मुझसे लड़ती रहती हैं। फिर भी आप लोगों को बीच में आने की जरूरत नहीं है; आप लोग जाऍं, हम लोग स्वयं सुलझा लेंगे।

पत्नी ने विनती करते हुए कहा, 'नहीं, आप लोग आ ही चुके हैं तो बताऍं कि मेरी गलती क्या है?

गोनू झा ने कहा, ये लोग कैसे पंचायत करेंगे? इन लोगों ने तो शुरू से देखा ही नहीं है और हम लोग तो वादी-प्रतिवादी ही हैं; एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप ही लगाऍंगे।

ओझाइन ने विस्मय से पूछा, 'तो यहाँ तीसरा था ही कौन, जो पंचायत करेगा?

गोनू झा ने कोठी-माँठ के पीछे इशारा करते हुए कहा, 'ये अतिथिगण' साक्षी हैं।

पड़ोसियों ने चोरों को धर दबोचा। तब पत्नी को पति का 'नाटक' समझ में आया।

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