• support@answerspoint.com

चिंता | Chinta - सुभद्रा कुमारी चौहान |

चिंता

(सुभद्रा कुमारी चौहान )

---------------

लगे आने, हृदय धन से
कहा मैंने कि मत आओ।
कहीं हो प्रेम में पागल
न पथ में ही मचल जाओ॥

कठिन है मार्ग, मुझको
मंजिलें वे पार करनीं हैं।
उमंगों की तरंगें बढ़ पड़ें
शायद फिसल जाओ॥

तुम्हें कुछ चोट आ जाए
कहीं लाचार लौटूँ मैं।
हठीले प्यार से व्रत-भंग
की घड़ियाँ निकट लाओ॥

---------------

    Facebook Share        
       
  • asked 3 years ago
  • viewed 1494 times
  • active 3 years ago

Top Rated Blogs