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लाल बहादुर शास्‍त्री का जीवन परिचय- Biography of Lal Bahadur Shastri

देश के महान नेता व स्वतंत्रता सेनानी लाल बहादुर शास्त्री का जन्‍म 2 अक्‍टूबर सन 1904 मुगलसराय में हुआ था, इनके पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव (Sharada Prasad Srivastava) तथा माता का नाम रामदुलारी (Ram Dulari) था इनके पिता पेशे से प्रथमिक पाठशाला मेें अध्‍यापक थे, लाल बहादुर अपने परिवार में सबसे छोटेे थे इसलिए सभी इन्‍हें प्‍यार नन्‍हें कहकर पुकारते थे, इनके पिता इनके बचपन में ही स्‍वर्गवासी हो गये थे तो इनकी माता इन्‍हेंं लेकर इनके नाना के यहाॅॅ मिर्जापुर लेकर चली गयींं|

जब लाल बहादुर छः वर्ष के थे तब एक दिलचस्प घटना घटी। एक दिन विद्यालय से घर लौटते समय लाल बहादुर और उनके दोस्त एक आम के बगीचे में गए जो उनके घर के रास्ते में ही पड़ता था। उनके दोस्त आम तोड़ने के लिए पेड़ पर चढ़ गए जबकि लाल बहादुर निचे ही खड़े रहे। इसी बीच माली आ गया और उसने लालबहादुर को पकड़कर डांटा और पीटना शुरू कर दिया। बालक लाल बहादुर ने माली से निवेदन किया कि वह एक अनाथ है इसलिए उन्हें छोड़ दें। बालक पर दया दिखाते हुए माली ने कहा “चूँकि तुम एक अनाथ हो इसलिए यह सबसे जरुरी है कि तुम बेहतर आचरण सीखो” इन शब्दों ने उन पर एक गहरी छाप छोड़ी और उन्होंने भविष्य में बेहतर व्यवहार करने की कसम खाई।

शास्त्री जी स्कूल जाने के लिए दिन में दो बार अपने सिर पर किताबें बांध कर गंगा तैर के जाते थे क्योंकि उनके पास नाव लेने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं हुआ करता था.

इनकी प्राथमिक शिक्षा मिर्जापुर में हुई और आगे की शिक्षा लाल बहादुर शास्त्री ने पूर्व मध्य रेलवे इंटर कॉलेज मुगलसराय और वाराणसी में पढ़ाई की. उन्होंने 1926 में काशी विद्यापीठ से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. उन्हें विद्या पीठ द्वारा उनके स्नातक की उपाधि के रूप में "शास्त्री" अर्थात "विद्वान" का खिताब दिया गया. शास्‍त्री जी ने इसके बाद से ही अपने नाम के साथ शास्‍त्री शब्‍द को जोड लिया, शास्त्री महात्मा गांधी और तिलक से बहुत प्रभावित थे.

इनका विवाह 16 मई 1928 में मिर्जापुर निवासी गणेशप्रसाद की पुत्री ललिता से हुआ अपनी शादी में दहेज के रूप में उन्होंने खादी का कपड़ा और चरखा स्वीकार किया. शास्‍त्री जी गांधीवादी थेे उन्‍होंने अपना सारा जीवन गरीबों की सेवा में लगाया था शास्‍त्री जी गांधी जी के साथ असहयोग अंदोलन कार्यरत रहे और कुछ समय केे लिए जेेल भी गयेे लाल बहादुर शास्‍त्री जी 1929 में इलाहाबाद आ गयेे और यहाॅॅ आकर उनकी मुलाकत नेेहरू जी से हुई|

भारत की स्वतंत्रता के बाद, लाल बहादुर शास्त्री यू.पी. में संसदीय सचिव बने. वे 1947 में पुलिस और परिवहन मंत्री भी बने. परिवहन मंत्री के रूप में, उन्होंने पहली बार महिला कंडक्टरों की नियुक्ति की थी. पुलिस विभाग के प्रभारी मंत्री होने के नाते, उन्होंने आदेश पारित किया कि पुलिस को  भीड को नियंत्रि‍त करने के लिए लाठी की जगह पानी की बौछारों का इस्‍तेमाल करने का नियम बनाया था.
1951 में, शास्त्री जी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया, और उन्हें चुनाव से संबंधित प्रचार और अन्य गतिविधियों को करने में सफलता भी मिली. 1952 में, वे U.P से राज्यसभा के लिए चुने गए. रेल मंत्री होने के नाते, उन्होंने 1955 में चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में पहली मशीन स्थापित की.

शास्‍त्री को वर्ष 1951 में अखिल भारतीय राष्‍ट्रीय कॉग्रेस का महा सचिव नियुक्‍त किया था इसके बाद वे नेहरू जी के मंत्रिमंडल में गृहमंत्री के तौर पर शामिल हुऐ इसके बाद शास्‍त्री जी 1952 में संसद में निर्वाचित हुए और केंद्रीय रेलवे व परिवहन मंत्री बने, शास्‍त्री जी ने बसों में पहली बार महिला कंडक्‍टरों को नियुक्‍त किया|  स्‍त्री जी ने रेलवे में थर्ड क्‍लास की शुरूआत की थी उन्‍होंनेे फर्स्ट क्लास और थर्ड क्लास के किराया में काफी अंतर कर दिया था इससे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बड़ी राहत मिली थी

लाल बहादुर शास्‍त्री जी को नेहरू जी की मृत्‍यु के बाद 9 जून 1964 को भारत का दूसरा प्रधानमंत्री नियुक्‍त किया गया था उन्होंने भारत के खाद्य उत्पादन की मांग को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति के विचार को भी एकीकृत किया था. यही नहीं, उन्होंने देश में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए श्वेत क्रांति को बढ़ावा देने का भी समर्थन किया था. उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड बनाया और गुजरात के आनंद में स्थित अमूल दूध सहकारी का समर्थन किया था.

1965 में, शास्त्री जी ने आधिकारिक तौर पर रंगून, बर्मा का दौरा किया और जनरल नी विन की सैन्य सरकार के साथ एक अच्छा संबंध स्थापित किया. उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने 1965 में पाकिस्तान से एक और आक्रामकता का सामना किया. उन्होंने जवाबी कार्रवाई करने के लिए सुरक्षा बलों को स्वतंत्रता दी और कहा कि "फोर्स के साथ मुलाकात की जाएगी" और लोकप्रियता हासिल की. 23 सितंबर, 1965 को भारत-पाक युद्ध समाप्त हो गया. 10 जनवरी, 1966 को रूसी प्रधानमंत्री कोश्यीन ने लालबहादुर शास्त्री और उनके पाकिस्तान समकक्ष अयूब खान ने ताशकंद घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने की पेशकश की.

ताशकंद समझौते के बाद  11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में शास्त्री जी का निधन हो गया| लाल बहादुर शास्त्री की मौत कैसे हुई? ये आज भी रहस्य बनी हुई है।  शास्‍त्री जी को वर्ष 1966 में भारत के सर्वोच्‍च सम्‍मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था

शास्त्री जी कहते थे कि "हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं".

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